दिल का मेहमान

तुझे भुलाना अगर आसान होता,
कोई और इस दिल का मेहमान होता ।
छोड़ गइ य़ादे तेरि
गुङ्ज रहि बाते तेरि
होता ना दर्द अगर दिल कोइ सामान होता,
काश तेरे दिल का मै मेहमान होता ।

तुझे भुलाना अगर आसान होता,
कोई और इस दिल का मेहमान होता ।

य़ाद जो आये बो सागर किनारा,
साथ विताय़ा बो रात का नजारा,
रेहति अगर साथ तुम तो एक साहारा होता ।
मुझको भुलाना ईउ ना आसान होता,
अगर तेरे दिल का मै मेहमान होता ।

होता ना दर्द अगर दिल कोइ सामान होता,
काश तेरे दिल का मै मेहमान होता ।

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